इखतियाराते मुस्तफा सल्लललाहो अलैहे वसल्लम
Ikhtiyarat e Mustafa
हदीस न:-01
अक़बा इब्ने आमिर से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो अलैहे वसल्लम ने ईर्शाद फरमाया कि मैं अपने हौज को इस वक्त देख रहा हूँ , और मुझ को तमाम रूये ज़मीन ख़ज़ानो की कुन्जियाँ दी गई हैं"
हवाला📗 ( सहीह बुख़ारी जि , 1 सफहा 179 )
हवाला📗 ( सहीह मुस्लिम जि , 2 सफहा 250 )
खुलासा :- इस हदीस मे हुज़ूर ने हौजे कौसर को अपना हौज़ फरमाया गोया आप इसके मालिक है और सारी रूये ज़मीन के ख़ज़ानो की कुन्जियाँ खुदाये तआला ने आप को आता फरमाई है यानी आप दोनो जहाँ में मालिक विजय मुख्तार है
हदीस न:-02
हज़रत अमीर मुआविया ने लोगो को खिताब करते हुए फरमाया कि हुज़ूर सल्लललाहो अलैहे वसल्लम को मैं ने यह फरमाते हुए सुना है कि अल्लाह तआला जिस से भलाई का इरादा फरमाता है इस को दीन मे समझ आता फरमाता है और बेशक मै बाँटने वाला हूँ और अल्लाह देने वाला
हवाला📗 ( सहीह बुख़ारी जि 1,सफहा 16 )
खुलासा:- इस हदीस को पढ़ कर खूब रौशन हो गया होगा कि जो कुछ जिस को अल्लाह तआला आता फरमाता है वह सब हुज़ूर सल्लललाहो अलैहे वसल्लम तक्सीम फरमाते है और वह आप की चौखट से मिलता है । जो लोग हुज़ूर की शान घटाते है , उन्होंने इस हदीस मे यह बात पैदा की है चंकि यह हदीस इल्म के ब्यान मे है इस से मालूम होता है कि हुज़ूर सल्लललाहो अलैहे वसल्लम सिर्फ इल्म बाँटते है और कुछ नहीं।तो ऐसे लोगों से यह मालूम किया जाये कि क्या वह यह कहने की जुरअत करेंगे कि खुदाये तआला भी मआज़ल्लाह सिर्फ इल्म आता फरमाने पर कुदरत रखता है और किसी पर नही क्योंकि इस हदीस मे हुज़ूर को बाँटने वाला और अल्लाह को आता फरमाने वाला कहा गया है तो अगर हुज़ूर को बाँटने मे सिर्फ इल्म पर इख्तियार है तो अल्लाह को भी मआज़ल्लाह सिर्फ इल्म देने वाला कहना पड़ेगा । मआज़ल्लाह रब्बुल आलमीन । हदीस के माना यही है कि जो कुछ जिस किसी को अल्लाह तआला आता फरमाता है इस सब के तक्सीम फरमाने वाले हुज़ूर है और आप अताये इलाही का वसीला है । बुख़ारी ही मे दूसरी जगह इसी मफहूम की एक हदीस इस तरह हरवी है रसुलुल्ललाह सल्लललाहो अलैहे वसल्लम ने ईर्शाद फरमाया "मैं बाँटने वाला हूँ खज़ानची हूँ और अल्लाह आता फरमाने वाला है ।
हवाला (बुख़ारी जि न,01 सफहा 439 )
हदीस न:-03
हज़रत अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहो अन्हो से रिवायत है कि अबू तालिब मालदार कुरैश के हमराह मुल्के शाम की तरफ चले नबी करीम सल्लललाहो अलैहे वसल्लम भी आप के साथ थे जब राहिब के पास पहुंचे तो अबू तालिब उतरे और लोगो ने भी अपने कजावे खोल दिये राहिब उनकी तरफ आया और हालांकि इस से पहले वह लोग इस रास्ते से गुजरते थे लेकिन वह इनके पास नहीं आता था और न आप की तरफ मुतवज्जेह होता था रावी कहते है कि लोग अभी कजावे खोल ही रहे थे कि इन के दरमियान चलने लगा यहां तक कि रसूलूल्लाह सल्लललाहो अलैहे वसल्लम के करीब आया और हुज़ूर का हाथ पकड़ कर कहने लगा कि यह सारी कायनात के सरदार है यह रब्बुल आलमीन के रसूल है इन को खुदाए तआला ने सारी मख़लूक के लिए रहमत बनाया है रूऊसाये कुरैश ने पूछा तुम ने यह बात कैसे जानी वह बोला जब तुम इस घाटी से सामने आ रहे थे तो मैं ने देखा कि हर पेड़ और पत्थर इन को सजदा कर रहा था
हवाला📗 ( तिरमिज़ी जि 2, सफहा 202, )
हवाला📗 ( मिश्कात सफहा 540 )
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हदीस न:-03
हज़रत अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहो अन्हो से रिवायत है कि अबू तालिब मालदार कुरैश के हमराह मुल्के शाम की तरफ चले नबी करीम सल्लललाहो अलैहे वसल्लम भी आप के साथ थे जब राहिब के पास पहुंचे तो अबू तालिब उतरे और लोगो ने भी अपने कजावे खोल दिये राहिब उनकी तरफ आया और हालांकि इस से पहले वह लोग इस रास्ते से गुजरते थे लेकिन वह इनके पास नहीं आता था और न आप की तरफ मुतवज्जेह होता था रावी कहते है कि लोग अभी कजावे खोल ही रहे थे कि इन के दरमियान चलने लगा यहां तक कि रसूलूल्लाह सल्लललाहो अलैहे वसल्लम के करीब आया और हुज़ूर का हाथ पकड़ कर कहने लगा कि यह सारी कायनात के सरदार है यह रब्बुल आलमीन के रसूल है इन को खुदाए तआला ने सारी मख़लूक के लिए रहमत बनाया है रूऊसाये कुरैश ने पूछा तुम ने यह बात कैसे जानी वह बोला जब तुम इस घाटी से सामने आ रहे थे तो मैं ने देखा कि हर पेड़ और पत्थर इन को सजदा कर रहा था
हवाला📗 ( तिरमिज़ी जि 2, सफहा 202, )
हवाला📗 ( मिश्कात सफहा 540 )
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