आज कल के उर्स और औरतों की हाज़िरी
सवाल:- हुज़ूर बुज़ुर्गाने दीन के उर्सो में जो अफ़आल नाजायज़ होते हैं उनसे उन हज़रात को तख़्लीक होती है?
◆जवाब:- बिला शुबाह इन हज़रात को ( यानी जिनकी मज़ार है उनको ) तख़्लीफ होती है। और यही तो वजह है कि इन हज़रात ने भी अब तवज्जो कम फ़रमा दी वर्ना पहले जिस क़दर फ़ैज़ होते थे वो अब कहां..
★पूंछा गया औरतों का मज़ार पर जाना जायज़ है या नहीं.?
◆तो जवाब में कहा गया के एसी जगह के बारे में ये नहीं पूछते कि जायज़ है या नहीं बल्कि ये पूछो के उस औरत पर कितनी लानत पड़ती है
1:- जब घर से क़ब्र की तरफ चलने का इरादा करती है तो अल्लाह और उसके फरिश्तो की लानत में होती है.
2 :- जब घर से बाहर निकलती है सब तरफो से शैतान उसे घेर लेते हैं.
3 :-जब क़ब्र तक पहुंचती है तो अहले मज़ार की रूह उस पर लानत करती है.
4 :-जब वापस आती है तो अल्लाह की लानत में होती है.
हवाला [फ़तावा रज़विया जिल्द 4]
हवाला [ इरशादाते आ'ला हज़रत सफ़हा नम्बर 40]
◆हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि औरत छिपाने की चीज है जब वो बाहर निकलती है तो शैतान उसे झांक कर देखता है
हवाला[ तिर्मिज़ी जिल्द 1 सफ़हा नम्बर 140]
●हदीस :- जब औरत खुशबू लगाकर बाहर निकली तो जिसको इसकी खुशबू मिली तो एसा है कि जैसे उसने ज़िना कराया
हवाला [निसाई जिल्द 2 सफ़हा नम्बर 240]
हवाला [तिर्मिज़ी जिल्द 2 सफ़हा नम्बर 102]
◆Note:- याद रखें कि घर का मुखिया यानि हाकिम यानि सरदार अगर चे खुद नेक भी हो तब भी क़यामत के दिन उस वक़्त तक छुटकारा नहीं मिलेगा जब तक कि अपने पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी का हिसाब ना देदे कि सबको इस्लामी तहज़ीब और अमल की दावत देता था या नहीं तो जब नेकोकार का हाल ये होगा तो जो खुद भी बुरे हों और अपने घर वालों से बुराई दूर भी ना करते हों तो वो किस तरह वहां निजात पायेंगे,लिहाज़ा अपने हाल पर रहम खायें और मुसलमान हैं तो मुसलमान जैसा अमल करें ग़ैरों की तरह नहीं
◆अल्लाह तआला हम सबको शरीअत पर अमल करने की तोफ़ीक अता फ़रमाऐ आमीन
मुसलमानो इसको शेयर करने में मत रुको
क्यूंकि आज कल मजारों का हाल बहुत बिगड़ता जा रहा है
औरतों के हुजूम से हमारे बहुत से मुसलमान भाई भी उनकी तरफ माएल होते रहते हैं
और शैतान भी हमें बहकाने में कामयाब होता है
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