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Sunday, March 24, 2019

March 24, 2019

JASHNE WILADAT MOULA ALI رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه


JASHNE WILADAT MOULA ALI رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه


MINKUNTO MAULAFAHAZA ALI UN MAUL


JISKA MAI MAULA USKA ALI MAULA


HADEES


Al-Bara' ibn Aazib رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه Riwayaat Karte Hain Farmate Ham Rasool ﷺ Ke Sath Hajj Ke Liye Nikle Jab Aap ﷺ Ne Ek Jagah Par Rukwa Diya Aur Aap ﷺ ne Ba Jamat Namaz Padne Ka Hukum Diya Aur Jab Namaz Se Farigh Hokar Hazrat Ali رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه Ka Haath Pakda Aur Haatho Ko Buland Kiya Or Sahaba Kiraam رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه Ko Muntaqib Kiya Aur Aap ﷺ ne Farmaya Kya Mai Tumare Jaano Se Zyada Qareeb Nahi Hoon?
Sahaba Ne Arz Kiya Ya Rasool Allah ﷺ Aap Hamare Jano Se Zyada Qareeb Ho Fir Aapﷺ Ne Farmaya Kya Mai Tamam Momin Ke Jaano Se Zyada Qarib Nahi Hu?? Sahaba Ne Arz Kiya Haan Rasool Allah ﷺ Aap Har Momin Ke Jaano Se Zyada Qareeb Ho
Fir Aap ﷺNe Farmaya "Man Kunto Maula Fa Haza Ali -un Maula"Jiska Mai MAULA Hu Uska Ali MAULA Hain Aur Aap ﷺ Ne Farmaya Aaye Parwardigar Tu Us Se Döst Rakna Jo Ali Se Dost Rakhe Aur Tu Us Se Dushman Rakna Jo Ali Se Dushman Rakhe .
(رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه)
References:

Ref (Imam Ibne Maja "Sunan Ibne Maja" Baab: Al Muqadimma Vol 1, Page 88, Hadees 116)

◆Is Hadees Ko Beshumar Muhadiseen ne Apni apni kutoob e hadees me alag alag isnaad thode alfazo k badlawa k saath likha magar ye sabne nakl kiya hai agar sirf hawale dene lag jaaye to 50 se zyada hawala diye jaa sakte hai yaha chand hawala mulahiza kare.

Ref (Jamai Tirmizi ,Vol :05, Pg : 398, Kitab No 49 Kitabul Manakib, Hadees : 4078 “English No : 3713)

Ref (Imam Nasai Al Khasais E Ali Ibn Abu Talib Pg :44, Hadees : 33)

Ref (Imam Hakim Al Mustadrak ,Vol :03, Pg : 34, Hadees : 4652)

Ref (Imam Tabrani Al Mujam Ul Kabir, Vol : 12, Pg : 470, Hadees : 12593)

Ref (Imam Tabrani Al Mujam Ul Ausat, Vol : 01, Pg :229, Hadees : 348)

Ref (Imam Tabrani Jamee Us Sageer Vol : 01, Pg :171)

Ref (Imam Nasai "Sunan ul Kubra " Vol 5, Page 131, Hadees : 8,465)

Ref (Imam Ahmad Ibn Hambal Al Musnad, Vol : 01, Pg : 570, Hadees : 959)

Ref (Imam Abdul Razzaq Al Musannaf Vol : 11,Pg :225, Hadees :20238)

Ref (Al Musannaf Ibn Abi Shayba Vol : 06, Pg : 602, Hadees : 32072)

Ref (Imam Hesmi "Majamul Zuwwaid " Volume 09, Page 108)

Ref (Imam Ibn Asim As Sunnah Vol :02, Pg :602, Hadees :1354)

Ref (Imam Shashi Al Musnad Vol : 01, Pg :165, Hadees :106)

Ref (Imam Hussamul Hindi Al Kanjul Ummal Vol : 11, Pg :602, Hadees :32904)

Ref (Imam khatib baghdadi "Tarikh E Baghdad" Vol 12,Page 343)

Ref (Imam Ibne Asakir "Tarikhe Damishque " Page No 144)

Ref (Imam Ibn Aseer Usadul Ghabah Fi Marifat E Sahaba Vol : 04, Pg : 103)

Ref (Allama Ibn Kathir Al Bidayah Wan Nihayah Vol : 04, Pg : 169)

Ref (Imam Zahbi Siyar An Nabula Vol : 02, Pg : 623)

Ref (Gair Mukallid k Sabse Bade Muhadis Shaykh Albani ne
Silsila Al Hadees As Sahih Vol : 04, Pg : 331, Hadees : 1750)

kul 21 hawale diye hai aur bhi bahot hai magar itna hi kafi hai. Ek Momin Ke Liye.

www.nabikibaatein.com

Saturday, March 23, 2019

March 23, 2019

इस्लामी मालूमात


इस्लामी मालूमात


सवाल-
वह कौनसा खून है जिसका खाना हलाल है?

जवाब- कलेजी तिल्ली, खाना हलाल है जो दर असल जमा हुआ खून है।

हवाला (मिस्कात शरीफ जिल्द2 सफ़्हा361)

सवाल-
वह कौनसा खून है जो खुद उसके लिये पाक और दूसरों के लिये नापाक है?

जवाब- शहीद का खून है कि खुद उसके लिये पाक है और दूसरों के लिए नापाक है।

हवाला (अलइशबाह वन्नजाइर सफ़्हा109)

सवाल-
वह कौनसी चीज हैं जिसको अल्लाह तआला ने अपने खास दस्ते क़ुदरत से तैयार किया है?

जवाब- (1)अर्शे आज़म(2)क़लम(3)जन्नते अदन(4)हज़रत आदम अलैहिस्सलाम(5)तौरेत शरीफ(6)शजरे तूबा।

हवाला (खाज़िन जिल्द2 सफ़्हा236/मवाहिब लदुन्निया जिल्द2 सफ़्हा423)

सवाल-
वह कौनसे हज़रात हैं जिनके पेशाब-पाख़ाना को जमीन निग़ल जाती है?

जवाब- अम्बियाऐ किराम अलैहिस्सलाम।

हवाला (मदारीज़न्नुबुव्वत जिल्द1 सफ़्हा29)

सवाल- वह कितने हज़रात हैं जिनको फरिश्तों ने नहलाया?

जवाब- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम,हज़रत जकरया अलैहिस्सलाम, हज़रत हन्जला,हज़रत हमज़ा रदियल्लाहु अन्हुम।

हवाला (ज़रकानी जिल्द3 सफ़्हा278/तफ़्सीर अज़ीज़ी सूरए बक़र सफ़्हा172)

सवाल-
अल्लाह तआला के नज़दीक कौनसा पहाड़ सबसे अफ़ज़ल है?

जवाब- उहूद पहाड़।
हवाला (फतावा हदीसिया सफ़्हा132)

सवाल- वह कौनसा आदमी है जिसकी मौत के वक़्त फरिश्तों ने उसका फ़तवा खुद उसके सामने पेश किया,और वह अपने ही फ़तवे के मुताबिक हलाक़ हुआ?

जवाब- वह फिरऔन है एक बार हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम इन्सानी शक़्ल में फिरऔन के पास एक इस्तिफ्ता लाए जिसका मज़मून यह था कि बादशाह का उस गुलाम के बारे में क्या हुक़्म है जिसने अपने आक़ा के माल व नेमत में परवरिस पाई फिर उसकी नाशुकी की और उसके हक़ का मुनकिर हो गया और खुद आक़ा होने का दावा किया उस पर फिरऔन ने यह जवाब दिया की जो गुलाम अपने आक़ा की नेमतों का इनकार कर दे और उसके मुक़ाबले में आए उसकी सज़ा यह है कि उसको दरया में डूबा दिया जाए जब फिरऔन डूबने लगा तो हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने उसका वही फ़तवा उसके सामने पेश कर दिया उसने उसको पहचान लिया।

हवाला (ख़ज़ाइन सफ़्हा316)

सवाल- वह बादशाह जिनका लक़ब फ़िरऔन हुआ कितने हैं और किस नबी के ज़माने में गुज़रे?

जवाब- तीन हैं (1)सिनानुल अशअल बिन अलअलवान यह हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के ज़माने का फ़िरऔन है(2)रय्यान बिन अलवलीद यह हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के ज़माने का फ़िरऔन है(3)वलीद बिन मुसइब यह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के ज़माने का फ़िरऔन है।

हवाला (हयातुल हैवान ज़िल्द1सफ्हा80)

सवाल- शबे क़दर अफ़ज़ल है या शबे मेराज़?

जवाब- हमारे लिये शबे क़दर अफ़ज़ल है और हुज़ूर ‎नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के लिये शबे मेराज़ अफ़ज़ल है।

हवाला (ज़रकानी जिल्द6 सफ्हा9)

सवाल- अल्लाह तआला ने कितनी उम्मतों को पैदा फ़रमाया और वह कहाँ कहाँ हैं?

जवाब- एक हज़ार उम्मतों को पैदा फ़रमाया जिन में से छह सौ तो दरया में और चार सौ खुश्की में हैं।

हवाला (मिस्कात शरीफ जिल्द2 सफ़्हा472)

सवाल- हुज़ूर ‎नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सबसे ज्यादा बदबख़्त किन लोगों को कहा?

जवाब- किदार बिन सालिफ को जिसने सालेह अलैहिस्सलाम की ऊँटनी को क़त्ल किया(2)हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बेटे क़ाबील को जिसने अपने भाई हाबील को क़त्ल किया(3)हज़रते अली के क़ातिल इब्ने मुलजिम को।

हवाला (हयातुल हैवान जिल्द2 सफ़्हा336)

सवाल- वह कौन इन्सान है जो हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम  के पैदा होने से एक हज़ार साल पहले आप पर ईमान लाए और उन्होंने आपके नाम से एक खत भी लिखा जिसमें अपने ईमान लान की शहादत लिखी?

जवाब- तुब्बऐ अव्वल हुमयरी है जिसने आपके नाम ख़त भी लिखा और वह ख़त सिसिले वार मुन्तक़िल होता हुआ आप तक पहुँचा।

हवाला (सावी जिल्द4 सफ़्हा54/ज़्ज़्बुल कुलूब सफ्हा59)*

सवाल-
वह कौन शख्स है जिसने मदीने में आपके लिये हज़ार साल पहले एक मकान बनाया था ताकि जब आप हिज़रत करके मदीना आएं तो उसमें में आराम करें?

जवाब- तुब्बऐ अव्वल हुमयरी है और वह मकान वही है जिसके मालिक बाद में हज़रत अबु अय्युब अन्सारी Radiallahu Anhu हुऐ।

हवाला (ज़रकानी जिल्द1 सफ़्हा358/ज़ज़्ज़्बुल कुलुब सफ़्हा59)

Friday, March 22, 2019

March 22, 2019

JANNAT wa DOZAKH


FANAA


आशूरह जुमा का दिन,लोग अपने अपने कामों में लगे होंगे कोई जानवर को चारा लगा चुका होगा और दूध दुहने को तैयार हो रहा होगा कोई कपड़ा खरीद रहा होगा तो कोई खाना खाने बैठा होगा कि अचानक एक आवाज़ सुनाई देगी जो पहले तो सीटी की तरह हलके हलके शुरू होगी और बढ़ते बढ़ते इस हद तक हो जायेगी कि बिजली की गरज उसके सामने हल्की मालूम होगी लोग दहशत से मरने लगेंगे,बादल फट पड़ेगा ज़मीन फट जायेगी समन्दर उबल पड़ेगा आसमान टूटकर गिर जायेगा सितारे चांद सूरज झड़ जायेंगे पहाड़ रुई की तरह उड़ते फिरेंगे,फरिश्ते इसी अश्ना में इब्लीस लईन को ढूंढ़ रहे होंगे कि उसकी रूह क़ब्ज़ करें और वो भागता फिरेगा हत्ता कि एक मक़ाम पर उसकी रूह क़ब्ज़ की जायेगी और बनी आदम पर हर हर इंसान को जितनी तकलीफ मौत की हुई होगी वो सब इकठ्ठा करके उस लईन पर डाली जायेगी,यहां तक कि सब कुछ फना हो जायेगा जिन 7 चीज़ों यानि अर्श-कुर्सी-लौह-क़लम-रूह-जन्नत-दोज़ख के बारे में आता है कि ये फना नहीं होंगे एक लम्हा के लिए उनको भी फना कर दिया जायेगा,तमाम फरिश्ते यहां तक कि हज़रत इस्राफील अलैहिस्सलाम और उनका सूर भी फना हो जायेंगे,मलकुल मौत अलैहिस्सलाम रब की बारगाह में अर्ज़ करेंगे मौला सब मर गए बस तेरा ये बंदा रह गया तो रब फरमायेगा कि तू भी मर जा और वो भी मर जायेंगे,अब सिर्फ एक बादशाह की बादशाहत होगी फिर वो पुकारेगा कि आज किसकी बादशाहत है अब कौन है जो उसे जवाब दे फिर खुद ही कहेगा कि "लिल्लाहिल वाहेदिल क़हहार" यानि आज बस एक खुदा की बादशाहत है,फिर जब वो चाहेगा तो हज़रत इस्राफील को ज़िंदा करेगा और दोबारा सूर फूंकने का हुक्म देगा याद रहे कि हर सूर की मुसाफत 6 माह की होगी और दोनों सूर के बीच 40 साल की मुद्दत होगी

हवाला ( ज़लज़लातुस सा'अत,सफह 15-17)

हवाला ( बहारे शरियत,हिस्सा 1,सफह 34)

हवाला (जलालैन,पारा 8,सफह 277)

 हवाला (खज़ाएनुल इरफान,सफह 553)

अर्श

 अर्श मख़लूक़ात में सबसे बड़ा जिस्म है जो कि हरकत व सुक़ून क़ुबूल करता है

हवाला ( मवाहिबुल लदुनिया,जिल्द 1,सफह 118)

 सातों ज़मीन और आसमान कुर्सी के सामने ऐसे हैं जैसे कि एक बहुत बड़े मैदान में छोटा सा छल्ला पड़ा हो उसी तरह कुर्सी अर्श के सामने ऐसे ही है जैसे कि एक बहुत बड़े मैदान में छोटा सा छल्ला

हवाला ( अलमलफ़ूज़,हिस्सा 4,सफह 64)

 अर्श को उठाने वाले 4 फ़रिश्ते हैं जिनके पंजों से घुटनों तक का फासला 500 साल की राह है

हवाला ( ख़ाज़िन,जिल्द 7,सफह 120)

कुर्सी

 कुर्सी सातवीं ज़मीन के ऊपर है जिसे 4 फ़रिश्ते उठाये हुए हैं और उसके ऊपर अर्श है

हवाला ( तफ़सीरे सावी,जिल्द 1,सफह 107)

 अर्श के उठाने वाले फरिश्तों और कुर्सी के उठाने वाले फरिश्तों के बीच 70 हिजाब तारीकी के और 70 हिजाब नूर के हैं और हर हिजाब की मोटाई 500 साल की राह है अगर ऐसा न होता तो कुर्सी के उठाने वाले फ़रिश्ते अर्श के उठाने वाले फरिश्तों के नूर से जल जाते

हवाला ( ख़ाज़िन,जिल्द 7,सफह 228)

लौहे महफूज़

 लौह सफ़ेद मोती से बना हुआ है अर्श से मिला हुआ उसकी दाहिनी तरफ़ से ऊपर का हिस्सा है और जिसका नीचे का हिस्सा एक फ़रिश्ते की गोद में है,लौह को लौह इसलिये कहते हैं कि वो ज़्यादती व नुकसान व शैतान के तसर्रुफ़ से पाक है

हवाला ( ख़ाज़िन,जिल्द 7,सफह 193)

 लौहे महफूज़ में लिखा हुआ क़ुरान का हर हुरूफ़ कोहे क़ाफ़ के जितना बड़ा है और उसके नीचे उसका माअना भी दर्ज है

हवाला ( अलइतकान,जिल्द 1,सफह 58)

 लौह का इल्म अल्लाह के सिवा उसके दिये से उसके रसूलों को और उसके वालियों को भी है

हवाला ( अलमलफ़ूज़,हिस्सा 1,सफह 66)

 लौह के बीचों बीच ये अलफ़ाज़ लिखे हैं जिनका तर्जुमा ये है कि " अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं वो एक है उसका दीन इस्लाम है मुहम्मद उसके बन्दे और रसूल हैं,तो जो अल्लाह पर ईमान लाएगा और उसके वादे की तस्दीक करेगा और उसके रसूलों की पैरवी करेगा अल्लाह उसे जन्नत में दाखिल करेगा

हवाला ( हाशिया 9,जलालैन,सफह 496)

क़लम

क़लम नूर का है इसकी लंबाई 500 साल की राह है सबसे पहले लौह पर बिसमिल्लाह शरीफ लिखा उसके बाद अल्लाह की तौहीदो तारीफ़ लिखी फिर क़यामत तक जो कुछ होने वाला था सब लिख दिया,बाज़ रिवायतों में इसकी तादाद 12 आयी है जिनके अलग अलग नाम और मर्तबे हैं

हवाला ( मदारेजुन नुबूव्वत,जिल्द 1,सफह 303

रूह

 इसका सही इल्म तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त को ही है हां बाज़ किताबों में युं आता है कि रूह एक लतीफ़ जिस्म जो कि कसीफ़ जिस्मों के साथ मिली हुई है जैसे हरी लकड़ी में पानी

हवाला ( शराहुस सुदूर,सफह 133)

 रूह के पैदा होने की कई रिवायत हैं आलाहज़रत जिस्म से 2000 साल पहले फरमाते हैं

हवाला ( फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 65)

 इंसान के जिस्म में रूह बादशाह है जिसके 2 वज़ीर हैं एक नफ़्स जिसका मरकज़ नाफ़ के नीचे है और दूसरा क़ल्ब जिसका मरकज़ सीने के बाएं तरफ़ का वो हिस्सा जिसे दिल भी कहा जाता है

हवाला ( अलमलफ़ूज़,हिस्सा 3,सफह 63)

 इंसान के अंदर 6 बार रूह दाखिल हुई या होगी

1. मीसाक के दिन दाखिल हुई जब अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम की पुश्त से उनकी ज़ुर्रियत निकाली और सबसे अपनी रबूबियत का इक़रार लिया

2. जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने खानए काबा की तामीर की तो रब के हुक्म पर आपने हज का एलान किया जिसे तमाम इन्सानों ने सुना जो पैदा नहीं हुए थे उन्हें भी मां के पेट में या बाप की पुश्त में थे उनमें भी रूह डालकर ये आवाज़ सुनवायी गयी

3.हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने तौरेत शरीफ में उम्मते मुहम्मदिया का ज़िक्र पढ़ा तो आपने उनसे मुलाक़ात और उनकी आवाज़ें सुनने की ख्वाहिश जाहिर की तो रब ने उम्मते मुहम्मदिया की आवाज़ें उनके बापों की पुश्त में डालकर सुनवाई

4. मां के पेट में

5. क़ब्र में मुनकर नकीर के सवालात के वक़्त

6. मैदाने महशर में

हवाला (तफ़सीरे अज़ीज़ी,सूरह बक़र,सफह 407 )

हवाला (तफ़सीरे नईमी,पारा 9,सफह 386)

 हर इंसान के जिस्म में 2 रूह होती है एक रूहे यक़्ज़ा यानि रूहे सैलानी जो कि नींद की हालत में निकल जाती है और घूमती फिरती है जिससे की हम ख्वाब देखते हैं और दूसरी रुहे हयात यानि रूहे सुल्तानी ये मौत के वक़्त निकलती है

हवाला ( तफ़सीरे सावी,जिल्द 2,सफह 18)

 मरने के बाद मुसलमान की कुछ की रूहें क़ब्र पर कुछ की चाह ज़म-ज़म पर कुछ की आसमान व ज़मीन के बीच कुछ की इल्लीन में कुछ की सब्ज़ परिंदों में अर्श के नीचे और कुछ की जन्नत में हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हज़रते सारह की निगरानी में रहती हैं और काफ़िरों में कुछ की रूहें वादिये बरहूत के कुएं में कुछ की मरघट पर कुछ की सातों ज़मीन के नीचे तक कुछ की सिज्जीन में और कुछ की हज़रे मौत पर

हवाला ( फतावा रज़वियह,जिल्द 4,सफह 125)

जन्नत और दोज़ख

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Aashurah juma ka din,log apne apne kaamo me lage honge koi jaanwar ko chaara laga chuka hoga aur doodh duhne ko taiyar ho raha hoga koi kapda khareed raha hoga to koi khaana khaane ko baitha hoga ki achanak ek aawaz sunayi degi jo pahle to seeti ki tarah halke halke shuru hogi aur badhte badhte is had tak ho jayegi ki bijli ki garaj uske saamne halki maloom hogi log dahshat kji wajah se marne lagenge,baadal fhat jayega zameen phat jayegi samandar ubal padega aasman tootkar gir jayega sitare chaand suraj sab jhad jayenge aur pahaad ruyi ki tarah idhar udhar udte honge,farishte isi ashna me iblees layeen ko dhoondte honge ki uski rooh qabz karen aur wo faagta firega hatta ki ek maqaam par uski rooh qabz ki jayegi bani aadam par har har insaan ko jitni takleefein huyi hongi wo sab ikatthi karke us layeen par daali jayegi,yahan tak ki jab kuchh fana ho jayega aur jin 7 cheezon ke baare me aata hai ki ye fana nahin honge yaani Arsh Kursi Lauh Qalam Rooh Jannat aur Dozakh ek aan ke liye usko bhi fana kar diya jayega,tamam farishte yahan tak ki hazrat israfeel alaihissalam aur unka soor bhi fana ho jayega tab hazrat israyeel yaani malkul maut alaihissalam Rub ki baargah me arz karenge maula sab mar gaye bas tera ye banda hi rah gaya hai to Rub farmayega ki tu bhi mar ja aur wo bhi mar jayenge,ab sirf ek hi baadshah ki baadshahat hogi phir wo pukarega ki aaj kiski baadshahat hai kahan gaye wo bade bade jaabir baadshah ab kaun hai jo use jawab de phir khud hi kahega 'LILLAHIL WAAHIDIL QAHHAR" yaani aaj bas ek ALLAH ki baadshahat hai,phir jab wo chahega to hazrat israfeel alaihissalam ko zinda karega aur dobara soor phoonkne ka hukm dega yaad rahe ki har soor ki musafat 6 maah ki hogi aur dono soor ke beech 40 saal ki muddat hogi

Ref [ Zalzalatus sa'at,safah 15-17]

Ref  [Bahare shariyat,hissa 1,safah 34]

Ref [ Jalalain,paara 8,safah 277]

Ref [ Khazayenul irfan,safah 553]

ARSH

◆Arsh makhlukaat me sabse bada jism hai jo ki harkat wa sukoon qubool karta hai

Ref [ Mawahib laduniya,jild 1,safah 118]

◆Saaton zameeno aasman kursi ke saamne aise hain jaise bade se maidan me chhota sa chhalla pada ho usi tarah kursi bhi arsh ke saamne aise hi hai jaise ki bade se maidan me chhota sa chhalla

Ref [ Almalfooz,hissa 4,safah 64]

◆ Arsh ko uthane waale 4 farishte hain jinke panjo se lekar ghutno tak ke darmiyan 500 saal ki raah jitni doori hai

Ref [ Khazin,jild 7,safah 120]

KURSI

◆ Kursi saatwen aasman ke oopar hai jise farishte uthaye hue hain aur uske oopar arsh hai

Ref [ Tafseere saavi,jild 1,safah 107]

◆ Arsh ke uthane waale farishte aur kursi ke uthane waale farishto ke beech 70 hijaab tareeki ke aur 70 hijaab noor ke haayal hai aur har hijaab ki motayi 500 saal jitni raah hai,agar aisa na hota to kursi ke uthane waale farishte arsh ko uthane waale farishto ke noor se jal jaate

Ref [ Khaazin,jild 7,safah 228]

LAUHE MAHFOOZ

◆ Lauh safed moti se bana hua hai aur arsh se mila hua hai jo ki uski daahini taraf se oopar ka hissa hai aur neeche ka hissa ek farishte ki goud me hai,lauh ko lauh isliye kahte hain ki wo zyadti wa nuksaan aur shaitan ke tasarruf se paak hai

Ref [ Khaazin,jild 7,safah 193]

◆ Lauhe mahfooz me likha hua quran ka har harf kohe qaaf jitna bada hai aur usi ki neeche uska maana bhi darj hai

Ref [ Alitqaan,jild 1,safah 58]

◆Lauh ka ilm ALLAH ke siwa uski ata se uske Rasoolo aur waliyon ko bhi hota hai

Ref [ Almalfooz,hissa 1,safah 66]

◆Lauh ke beecho beech ye alfaaz likhe hain jinka tarjuma ye hai ki "ALLAH ke siwa koi ma'bood nahin wo ek hai uska deen islaam hai MUHAMMAD uske bande wa Rasool hain,to jo koi ALLAH par imaan layega aur uske waade ki tasdeeq karega aur uskr rasool ki pairvi karega to ALLAH use jannat me daakhil karega"

Ref [ Jalalain,hashia 9,safah 496]

QALAM

◆ Qalam noor ka bana hua hai aur iski lambayi 500 saal jitni raah hai,qalam ne sabse pahle lauh par BISMILLAH sharif likha uske baad ALLAH ki tauheed wa tareef likhi phir qayamat tak jo kuchh hone waala tha sab kuchh likh diya,baaz riwayton me iski taadad 12 aayi hai jinke alag alag naan aur martabe hain

Ref [Madarejun nubuwat,jild 1,safah 303]

ROOH

◆Iska sahi ilm to ALLAH Rabbul izzat ko hi hai haan baaz riwayton me ye aata hai ki rooh ek lateef jism hai jo ki kaseef jismo ke saath mili huyi hai jaise hari lakdi me paani

Ref [ Sharahus sudoor,safah 133]

◆ Rooh ke paiad hone ki kayi riwayat hai sarkare Aalahazrat raziyallahu taala anhu jism se 2000 saal pahle farmate hain

Ref [ Fatawa razviyah,jild 9,safah 65]

◆Insaan ke jism me rooh baadshah hai jiske 2 wazeer hain ek nafs jiska markaz naaf ke neeche hai aur doosra qalb jiska markaz deene ke baayein taraf ka wo hissa jise dil bhi kaha jaata hai

Ref [ Almalfooz,hissa 3,safah 63]

◆ Insaan ke andar 6 baar rooh daakhil huyi ya hogi

1. Meesak ke din daakhil huyi jab ALLAH ne hazrat aadam alaihissalam ki pusht se unki zurriyat nikaali aur sabse apni rabubiyat ka iqraar liya

2. Jab hazrat ibraheem alaihissalam ne khanaye kaaba ki tameer ki to Rub ke hukm par aapne hajj ka elaan kiya jise tamam insano ne suna aur jo paida nahim hue the unhein bhi maa ke shikam me ya baap ki pusht me unki roohein daalkar ye aawaz sunwayi gayi

3. Hazrat moosa alaihissalam ne taurait sharif me ummate muhammadiya ka zikr padha to aapne unse mulakaat aur unki aawazein sunne ki khwahish zaahir ki to Rub ne unki aawazein unke baapo ke pusht me daalkar sunwayi

4. Maa ke peit me

5. Qabr me munkar nakeer ke sawaalat ke waqt

6. Maidane mahshar me

Ref ( Tafseere azeezi,surah baqar,safah 407 )

Ref [ Tafseere nayimi,paara 9,safah 386】

◆ Har insaan ke jism me 2 rooh hoti hain ek roohe yaqza yaani roohe sailani jo ki neend ke waqt nikal jaati hai aur ghoomti phirti hai jisse ki hum khwab dekhte hain aur doosri rrohe hayaat yaani roohe sultani jo ki maut ke waqt nikalti hai

Ref [ Tafseere saavi,jild 2,safah 18]

◆ Marne baad musalman ki roohein qabr par kuchh ki chah zam-zam par kuchh ki aasmano zameen ke beech kuchh ki illeen me kuchh ki sabz parindo me arsh ke neeche aur kuchh ki jannat me hazrat ibraheem alaihissalam wa hazrate saarah raziyallahu taala anha ki nigarani mr raha karti hain isi tarah kaafiron me kuchh ki roohein waadiye barhoot ke kunwe me kuchh ki marghat par kuchh ki saato zameen ke neeche kuchh ki sijjeen me aur kuchh ki hazre maut par rahti hain

Ref ( Fatawa razviyah,jild 4,safah 125)

JANNAT wa DOZAKH

Wednesday, March 20, 2019

March 20, 2019

SHOHAR KI MOHABBAT


SHOHAR KI MOHABBAT


HIQAYAT



 Ek Din Huzoor ﷺ Ne Hazrat Aayesha Radi-Allahu-Ta'aala-Anha Se Farmaya, Aye Aayesha,Jab Tum Mujhse Khush Hoti Ho To Mujhko Pata Chal Jata Hain Aur Jab Kuch Naraaz Si Hoti Ho To Bhi Mujhko Pata Chal Jata Hain!

 Hazrat Aayesha
 Radi-Allahu-Ta'aala-Anha Ne Arz Kiya Ki Wo Kaise Ya RasoolAllah? Huzoor ﷺNe Farmaya Jab Tum Mujhse Khush Hoti Ho To Yun Kehti Ho, Mujhe Rabbe Mohammad Ki Kasam! Aur Jab Tum Mujhse Naraaz Si Hoti Ho To Yun Kehti Ho, Mujhe Rabbe Ibrahim Ki Kasam! Hazrat Aayesha Radi-Allahu-Ta'aala-Anha Ne Arz Kiya, Ya RasoolAllah! Baat Yahi Hain! Magar Huzoor Main Sirf Aapka Naam Hi Chodti Hoon Lekin Aapki Zaat-A-Girami Ki Mohabbat To Mere Dil May Ba-Dastur Rehti Hai


Ref (Madarizun Nubuwat Jild-2, Pg-276)


 SABAK:Huzoor ﷺ Ki Har Ada Taalim-A-Ummat Keliye Hain! Is Wakiye Se Sabak Yeh Hain Ki Miyan-Biwi Ki Aapas May Koi Ranjish Hojaye To Mohabbat May Fark Nahi Aana Chahiye! Yeh Ranjish Bhi Mamuli Honi Chahiye Isse Badana Nahi Chahiye!

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Tuesday, March 19, 2019

March 19, 2019

Quran Ka Elan Huzoor ﷺ Pichli Ummato Ke Halat Dekh Rahe Hain..


Quran Ka Elan Huzoor ﷺ Pichli Ummato Ke Halat Dekh Rahe Hain..


Sureh Feel Ayat 1
أَلَمْ تَرَ كَيْفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِأَصْحَابِ الْفِيلِ

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Aye Mehboob ﷺ  Tum Ne Na Dekha Ke Tumhary Rabb Ne In Haathi Walon Ka Kya Haal Kya”

Sureh Fajr Ayat 6*أَلَمْ تَرَ كَيْفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِعَادٍ*

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Aay Mehboob ﷺ Kya Tum Ne Na Dekha Ke Tumhary Rabb Ne Qoum e Aad Ke Sath Kya Kya”

Sureh Baqra Ayat 30_*وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي جَاعِلٌ فِي الْأَرْضِ خَلِيفَةً ۖ قَالُوا أَتَجْعَلُ فِيهَا مَن يُفْسِدُ فِيهَا وَيَسْفِكُ الدِّمَاءَوَنَحْنُ  نُسَبِّحُ بِحَمْدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ ۖ قَالَ إِنِّي أَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُونَ - 2:30

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Aay Mehboob ﷺ Aur Yaad Karo Jab Ke Aapke Rabb Ne Farishton Say Kaha”

Sureh Baqra Ayat 67
وَإِذْ قَالَ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِ إِنَّ اللَّهَ يَأْمُرُكُمْ أَن تَذْبَحُوا بَقَرَةً ۖ قَالُوا أَتَتَّخِذُنَا هُزُوًا ۖ قَالَ أَعُوذُ بِاللَّهِ أَنْ أَكُونَ مِنَ الْجَاهِلِينَ - 2:67

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Aur Yaad Karo Aay Mehboob ﷺ Jab Moosa Alayhissalam Ne Apni Qoum Se Kaha ”

Sureh Ahzab Ayat 6
النَّبِيُّ أَوْلَىٰ بِالْمُؤْمِنِينَ مِنْ أَنْفُسِهِمْ ۖ وَأَزْوَاجُهُ أُمَّهَاتُهُمْ ۗ وَأُولُو الْأَرْحَامِ بَعْضُهُمْ أَوْلَىٰ بِبَعْضٍ فِي كِتَابِ اللَّهِ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُهَاجِرِينَ إِلَّا أَنْ تَفْعَلُوا إِلَىٰ أَوْلِيَائِكُمْ مَعْرُوفًا ۚ كَانَ ذَٰلِكَ فِي الْكِتَابِ مَسْطُورًا

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Nabi Musalmanon Momino Se Unki Janoo Ke Zyada Qareeb Hen”


Short Details This Ayat's


◆1 Jab Ek Hathiyo Ka Lash'kar Kabe Par Hamla Karne Aaya  Wo Waqia Huzoor ﷺ Ki Wiladat e Pak Se 55 Saal Pehle Ka Tha Par Usko Huzoor ﷺ Dekh Rahe Hai

◆2 Qaum e Aaad Ka Waqia Huzoor ﷺ Ki Wiladat E Pak Se Hazaro Saal Pehle Ka Hai Lekin Huzoor ﷺ Usko Bhi Dekh Rahe Hai

◆3 Jab Allah Ta'ala Farishto Se Kalam Hua Usko Bhi Huzoor ﷺ Dekh Rahe Hai

◆4 Hazrat Musa Alayhissalam Ka Apni Ummat Qaum Se Baat Karna Isko Bhi Huzoor ﷺ Dekh Rahe Hai Aur Hazrat Musa Alayhissalam Huzoor ﷺ Ki Wiladat E Pak Se Hazaro Saal Pehle Paida Hue

◆And LastJab Nabi Hamari Jaano Se Zyada Qareeb Hai Toh Bataiye Ki Ab Kaun Sa Haal Unse Ummat Ka Chupa Hua Hai Aur Jaan Se Bhi Zyada Qareeb Yani Hamari Jaan Kitni Qareeb Hai Ye Aaj Tak Koi Duniya Ka Scientist's Wale Bhi Nahi Bata Sakte Toh Aaqa Sallallaho Alayhe Wasallam Toh Hamari Jaano Se Zyada Humse Qareeb Hai Toh Hazir Nazir Hai Tabhi Toh In Waqiyat Ko Dekh Rahe Hai Aur Allah Ta'ala Unko Gawah Banayega Sab Par Warna Kyun Allah Gawah Banata Zahir Si Baat Hai Gawahi Wo Deta Hai Jo Har Chiz Ko Apni Aankho Se Dekhta Hon Toh Pata Ki Huzoor ﷺ Har Chizo Ko Dekh Chuke Jo Pichli Ummato Me Hua Aur Jo Qayamat Tak Hone Wala Hai Hazir Nazir..


Monday, March 18, 2019

March 18, 2019

DARAKHT SE AWAAZ


DARAKHT SE AWAAZ


◆Hazrat Musa Alaihi Salam, Hazrat Shoaib Alaihi Salam Ke Paas 10 Baras Tak Rahe! Fir Hazrat Shoaib Alaihi Salam Ne Apne Sahab-Zaadi Ka Nikah Hazrat Musa Alaihi Salam Ke Sath Kerdiya! Itne Arse Ke Baad Aap Hazrat Shoaib Alaihi Salam Se Ijazat Leker Apni Walida Se Milne Keliye Misr Ki Taraf Rawana Hue! Aapki Biwi Bhi Sath Thi! Raaste May Jabki Aap Raat Ke Waqt Ek Jangal May Pahuche To Raasta Goom Hogaya! Andheri Raat Aur Sardi Ka Mausam Tha! Us Waqt Aapne Jangal May Dur Ek Chamkti Hui Aag Dekhi Aur Biwi Se Farmaya, Tum Yahin Tehro, Maine Wo Dur Aag Dekhi Hain! Main Wahin Jata Hoon Shayed Wahan Se Kuch Khaber Mile! Tumahre Taapne Keliye Kuch Aag Bhi La Sakunga!

◆Chunanche, Aap Apni Biwi Ko Wahin Baithaker Us Aag Ki Taraf Chale Aur Jab Uske Paas Pahuche To Wahan Ek Sar-Sabz Wa Shadaab Darakht (Hara-Bhara Ped) Dekha Jo Uper Se Niche Tak Nihayat Roshan Tha! Jitna Uske Kareeb Jate Wo Dur Hojata Hain! Jab Taher Jate To Wo Kareeb Hojata! Aap Is Noorani Darakht Ke Is Ajeeb Haal Ko Dekh Rahe The Ki Us Noorani Darakht Se Awaaz Aayi, Aye Musa! Main Saare Jahaanon Ka Rab ALLAH Hoon! Tum Bade Pakiza Makaam May Aagaye Ho! Apne Joote Utaar Daalo! Jo Tujhe " WAHI " Hoti Hain Kaan Lagaker Suno! Maine Tujhe Pasand Kerliya!

Ref (Quraan Kareem, Para-16, Ruku-10, Para-20, Ruku-7)

(Khazayinul Irfaan, Pg-442-549)


KHULASA

     
◆Nubuwat ALLAH Ki Ata-A-Mahaz Hain! Isme Mehnat Aur Kasab Ko Dakhal Nahi!
Yani Nubuwat Kisi Course Pura Karne Aur Mehnat Karne Se Nahi Milti Balki ALLAH Jise Chahta Tha, Is Sharf Se Musharraf Farma Deta Tha!
Jaise Musa Alaihi Salam Ko, Ki Gaye Aag Lene Aur Aaye Nubuwat Lekar!

◆Yeh Silsila Huzoor SALLALLAHU TA'ALA ALAIHI-WASALLAM Tak Jari Raha!
Fir Jo Shaks Kahe "Ehdinas-Siraatal-Mustakeem" Padhne Se Aadmi Nabi Ban Sakta Hain, Wo Kis-Qadr Jaahil Hain?

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Saturday, March 16, 2019

March 16, 2019

MAAL A DUNIYA HIQAYAT


MAAL-A-DUNIYA HIQAYAT

Ek Shaks Sote May Hamesha Peshaab Kerdiya Karta Tha! Uski Biwi Ne Usse Kaha Ki Yeh Aapko Kya Hogaya Hain Ki Har Roz Bister Per Peshaab Kerdete Hain! Usne Kaha Ki Main Har Roz Shaitaan Ko Dekhta Hoon Ki Mujhko Sair Keliye Lejata Hain! Jab Mujhko Haajat Hoti Hain To Kisi Jagah Baithaker Kehta Hain Ki Peshaab Kerlen! Main Peshaab Kerdeta Hoon! Biwi Ne Kaha Ki Shaitaan To Jinnaat Mayse Hain, Ab Wo Jab Aaye To Usse Kehna Ki Hum Faka May Rehte Hain! Humko Kahin Se Rupiya Dila De! Usne Kaha Bahoat Accha Ab Agar Khwab May Aaya To Zarur Kahunga!

Roz Ki Tarah Shaitaan Khwab May Aaya, Usne Kaha Ki Kambakhat! Tu Mujhko Hamesha Peshaab Karata Hain! Hum Pareshani May Mubtala Rehte Hain Humko Kahin Se Rupiya Nahi Dilata? Shaitaan Ne Kaha Ki Tune Mujhse Pehle Kyon Nahi Kaha? Main Tujhe Bahoat Rupiya Dila Duga!

Garz Yeh Ki Shaitaan Use Ek Jagah Legaya Aur Wahan Se Bahoatsa Rupiya Usse Uthwa Diya! Us Rupiye Ka Is Qadr Use Boaj Mehsus Hua Ki Boaj Se Pakhana Nikal Gaya!

Jab Aankh Khuli To Bister Per Pakhana Maujudh Hain Magar Rupiya Nahi Hain!

Ref (Mah-A-Taiba January 1954)

SABAK:-

Is Aalam Ki Misaal Aalam-A-Khwab Ki Si Hain! Duniya Ka Taalib Khwab Dekhne Ki Tarah Hain! Maal-A-Duniya Ki Misaal Pakhana Ki Si Hain! Is Waqt Hum Khwab-A-Gaflat May Nahi Jaante Ki Kya Jama Ker Rahe Hain! Jab Aankh Khulegi Yani Maut Aayegi To Us Waqt Malum Hoga Ki Maal To Nadaradh Hain Aur Pakhana Yani Gunah Maujudh Hain!


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